मदर टेरेसा (Mother Teresa in Hindi) एक रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने अपना जीवन दुनिया भर के गरीबों और निराश्रितों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत के कलकत्ता में कई साल बिताए, जहाँ उन्होंने Missionaries of Charity की स्थापना की, जो एक धार्मिक मण्डली है जो बड़ी ज़रूरत वाले लोगों की मदद करने के लिए समर्पित है।
1979 में Mother Teresa को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और वह धर्मार्थ, निस्वार्थ कार्य की प्रतीक बन गईं। 2016 में, मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा सेंट टेरेसा के रूप में विहित किया गया।
मदर टेरेसा दुनिया की अब तक की सबसे महान मानवतावादियों में से एक हैं। उनका पूरा जीवन गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। एक गैर-भारतीय होने के बावजूद उन्होंने अपना लगभग पूरा जीवन भारत के लोगों की मदद करने में लगा दिया था।
Mother Teresa जन्म से ईसाई और आध्यात्मिक महिला थीं। निस्संदेह वह एक संत महिला थीं, जिनमें दया और करुणा की प्रचुरता थी।
मदर टेरेसा का जन्म | Birth of Mother Teresa
Mother Teresa का जन्म 26 अगस्त 1910 में मैसेडोनिया (Macedonia) गणराज्य की राजधानी स्कोप्जे (Skopje) में हुआ था। कम उम्र में ही, उन्हें नन बनने और गरीबों की मदद करने की आवश्यकता महसूस हुई।
18 साल की उम्र में उन्हें आयरलैंड में ननों के एक समूह में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। लोरेटो की बहनों के साथ कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद, उन्हें भारत की यात्रा करने की अनुमति दी गई। उन्होंने 1931 में अपनी औपचारिक धार्मिक प्रतिज्ञा ली और मिशनरियों के संरक्षक संत – सेंट थेरेसी ऑफ लिसीक्स के नाम पर अपना नाम चुना।
प्रारंभिक जीवन | Early life
Mother Teresa एक गहरी धर्मपरायण महिला और कैथोलिक ईसाई थीं। उनका असली नाम एग्नेस गोंक्षे बोजाक्षिउ (Agnes Gonxhe Bojaxhiu) था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा चर्च में बिताया था।
शुरुआत में Mother Teresa ने नन बनने के बारे में नहीं सोचा था। मदर टेरेसा डबलिन में अपना काम पूरा करने के बाद कोलकाता, भारत आई थीं। उनके यहाँ आने के बाद उन्हें नया नाम “टेरेसा” मिला। उनकी ममतामयी प्रवृत्ति के कारण उन्हें मदर टेरेसा के नाम से जाना जाने लगा।
जब वे कोलकाता में थीं, तब वो एक स्कूल में शिक्षिका भी थीं जिसका नाम “सेंट मैरी हाई स्कूल” था। इस स्कूल में उन्होंने 15 साल तक पढ़ाया। यहीं से उनका जीवन जोरदार परिवर्तनों से गुजरा और अंततः उन्हें “Saint of Our Times” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
मदर टेरेसा द्वारा मानवता की सेवा का आह्वान | Mother Teresa’s call to serve humanity
Mother Teresa अपने आसपास के लोगों की दुर्दशा से बहुत परेशान थीं। वह 1943 में बंगाल के अकाल की गवाह थीं, और उस कठिन समय के दौरान उन्होंने गरीबों की दयनीय स्थिति का अनुभव किया। भूखों की पीड़ा और हताशा Mother Teresa के हृदय में चुभ रही थी।
भारत के विभाजन से पहले 1946 के हिंदू-मुस्लिम दंगों ने देश को तोड़ कर रख दिया था। इन दो दर्दनाक घटनाओं ने मदर टेरेसा को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि वह अपने आसपास के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए क्या कर सकती हैं।
10 सितंबर, 1946 को कॉन्वेंट के वार्षिक रिट्रीट के लिए दार्जिलिंग, उत्तर-बंगाल की यात्रा के दौरान, Mother Teresa को अचानक “the call within call” की आवाज़ सुनाई दी। Mother Teresa लगा जैसे यीशु उन्हें दीवारों से बाहर आने और समाज के दबे-कुचले लोगों की सेवा करने के लिए कह रहे हैं।
इसके बाद 17 अगस्त 1947 को Mother Teresa ने कॉन्वेंट छोड़ दिया। भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा के कारण उन्होंने नीले बॉर्डर वाली सफेद साड़ी को अपनाया। उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन भी किया और पटना के Holy Family Hospital से Basic medical training भी ली।
अगले कुछ वर्षों तक मदर टेरेसा गरीबों के बीच कलकत्ता की झुग्गियों में रहीं। वह कुछ साथी ननों के साथ घर-घर जाकर भोजन और आर्थिक मदद की भीख माँगती थी। कम से कम वो जीवित रहे सकें और अपने आस-पास के लोगों की मदद कर सकें वो यही चाहतीं थी। धीरे-धीरे, उनके अथक प्रयासों को मान्यता मिली और उन्हें विभिन्न स्रोतों से मदद मिलने लगी।
मदर टेरेसा द्वारा किये गए कार्य | Work of Mother Teresa
मदर टेरेसा मानवता की भलाई में विश्वास करती थीं। उनका मानना था कि “हम सभी महान काम नहीं कर सकते”। लेकिन हम छोटे-छोटे काम बड़े प्यार से कर सकते हैं।” और वह संदेश उसके जीवन के काम का आधार बन गया।
Mother Teresa अपने शिक्षण पेशे के साथ-साथ अपने क्षेत्र के गरीब बच्चों को भी शिक्षा दी। उन्होंने एक ओपन-एयर स्कूल खोलकर मानवता के अपने युग की शुरुआत की, जहां उन्होंने गरीब बच्चों को शिक्षा दी। Mother Teresa की यात्रा बिना किसी की सहायता के शुरू हुई थी।
कुछ दिनों बादMother Teresa ने गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और नियमित रूप से उनकी मदद की। इस उद्देश्य के लिए उन्हें एक स्थायी स्थान की आवश्यकता थी। जो स्थान उनका मुख्यालय और गरीब और बेघर लोगों के लिए आश्रय स्थल के रूप में जाना जाए।
मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का निर्माण किया जहां गरीब और बेघर लोग चर्च और लोगों की मदद से अपना पूरा जीवन बिता सकते थे। बाद में, उन्होंने लोगों और तत्कालीन सरकार की मदद से भारत के अंदर और बाहर कई स्कूलों, घरों, औषधालयों और अस्पतालों की स्थापना की। मदर टेरेसा ने इस विशाल संस्थान का निर्माण करके दुनियाभर के लोगों को एक रास्ता दिखाया जिससे वह काम करने के लिए प्रेरित हो सकें।
मदर टेरेसा की मृत्यु | Mother Teresa’s death
Mother Teresa को कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें दो कार्डियक अरेस्ट भी शामिल थे। अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद Mother Teresa ने मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी और उसकी शाखाओं को पहले की तरह कुशलता से संचालित करना जारी रखा। अप्रैल 1996 में Mother Teresa अचानक गिर गईं और उनकी कॉलर बोन टूट गई। इसके बाद, Mother Teresa के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आने लगी और 5 सितंबर 1997 को वे स्वर्गलोक के लिए प्रस्थान कर गईं।
भारत के लोगों और भारत से बहार के लोगों के लिए भी वह आशा की दूत थीं। लेकिन इंसान का अंतिम भाग्य किसी को नहीं बख्शता। उन्होंने कोलकाता में लोगों की सेवा करते हुए अपनी अंतिम सांस ली। उन्होंने अपनी याद में पूरे देश को रुला दिया। उनकी मृत्यु के बाद, कई गरीब, जरूरतमंद, बेघर और कमजोर लोगों ने दूसरी बार अपनी ‘मां’ खो दिया। उनके नाम पर देश और विदेश में कई स्मारक बनाए गए।
मदर टेरेसा की मृत्यु एक युग का अंत था। अपने काम के शुरुआती दिनों में, गरीब बच्चों को संभालना और उन्हें शिक्षा देना उनके लिए काफी मुश्किल काम था। लेकिन उन्होंने इतने कठिन काम को भी बड़ी सरलता से किया। वह जमीन पर लिख कर लाठी के सहारे गरीब बच्चों को पढ़ाती थी।
लेकिन कई वर्षों के संघर्ष के बाद, वह अंततः स्वयंसेवकों और कुछ शिक्षकों की मदद से शिक्षण के लिए उचित उपकरण व्यवस्थित करने में सफल रही। मदर टेरेसा सभी भारतियों के ह्रदय में बसी रहेंगी और हमेशा उन्हें याद किया जाएगा।
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मदर टेरेसा को दिए गए पुरस्कार | Awards given to Mother Teresa
Year | Award |
1971 | The first Pope John XXIII Peace Prize |
1971 | Kennedy Prize |
1972 | The Nehru Prize –“for the promotion of international peace and understanding” |
1975 | Albert Schweitzer International Prize |
1979 | The Nobel Peace Prize |
1985 | States Presidential Medal of Freedom |
1994 | Congressional Gold Medal |
1994 | U Thant Peace Award |
November 16, 1996 | Honorary citizenship of the United States |
Mother Teresa Quotes in Hindi :
- अकेलापन और किसी के द्वारा न चाहने की भावना का होना भयानक गरीबी के सामान है।
- हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।
- छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्ही में आपकी शक्ति निहित है।
- यदि आप सौ लोगो को नहीं खिला सकते तो एक को ही खिलाइए।
- सादगी से जिए ताकि दूसरे भी जी सकें।
- अगर आपको प्यार के कुछ शब्द सुनने है, तो पहले आपको कुछ प्यार के शब्द कहने भी पड़ेंगे, बिलकुल उसी तरह जैसे किसी दिए को जलाये रखने के लिए पहले उसमे तेल भी डालना पड़ता है।
- यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो सिर्फ एक को ही भोजन करवाएं।
- जब भी एक दूसरे से मिलें मुस्कान के साथ मिलें, यही प्रेम की शुरुआत है।
- भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों। वे तो केवल इतना ही चाहते हैं कि हम प्रयास करें।
- प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं।
- हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम अन्य कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।
- केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों, धन पर्याप्त नहीं है, वह पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है, तो जहाँ भी आप जायें अपना प्रेम सबमे बांटे।
- कल जा चुका है, कल अभी आया नहीं है, हमारे पास केवल आज है, चलिए शरुआत करते हैं।
- आप दुनिया में प्रेम फ़ैलाने के लिए क्या कर सकते हैं ? घर जाइये और अपने परिवार से प्रेम कीजिये।
- दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूँज अन्नत होती है।
- वे शब्द जो ईश्वर का प्रकाश नहीं देते अँधेरा फैलाते हैं।
- यह महत्वपूर्ण नहीं है आपने कितना दिया, बल्कि यह है की देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।
- एक जीवन जो दूसरों के लिए नहीं जीया गया वह जीवन नहीं है।
- पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है।
- जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे।
- अगर आप यह देखेंगे की लोग कैसे हैं तो आप के पास उन्हें प्रेम करने का समय नहीं मिलेगा।
- जो आपने कई वर्षों में बनाया है वह रात भर में नष्ट हो सकता है तो भी क्या आगे बढिए उसे बनाते रहिये।
- प्रेम कभी कोई नापतोल नहीं करता, वो बस देता है।
- चमत्कार यह नहीं है कि हम यह काम करते हैं, बल्कि यह है की ऐसा करने में हमें ख़ुशी मिलती है।
Mother Teresa Short Biography in Hindi :
नाम | मदर टेरेसा |
असली नाम | एग्नेस गोंक्षे बोजाक्षिउ (Agnes Gonxhe Bojaxhiu) |
जन्म | 26 अगस्त 1910 |
जन्म स्थान | मैसेडोनिया (Macedonia), स्कोप्जे (Skopje) |
राष्ट्रीयता | उस्मान प्रजा (1910–1912) सर्बियाई प्रजा (1912–1915) बुल्गारियाई प्रजा (1915–1918) युगोस्लावियाइ प्रजा (1918–1943) यूगोस्लाव नागरिक (1943–1948) भारतीय प्रजा (1948–1950) भारतीय नागरिक (1948–1997) अल्बानियाई नागरिक (1991–1997) |
मृत्यु | 5 सितम्बर 1997 (उम्र 87) |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, भारत |