Arastu (384-322 ईसा पूर्व) एक यूनानी दार्शनिक थे। वे विश्व के महानतम विचारधारा रखने वाले व्यक्तियों में से एक थे। अरस्तु का मानना था कि पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में है और यह केवल चार तत्वों से मिलकर बनी है- मिट्टी, जल, वायु और अग्नि।
उनके अनुसार, सूर्य, चंद्रमा और तारे जैसे खगोलीय पिंड परिपूर्ण और दिव्य हैं और सभी पांचवें तत्व ether से मिलकर बने हैं। इस प्रकार मैसेडोनिया के दरबार का अरस्तु के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। अरस्तु जब छोटे थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था।
17 साल की उम्र में अरस्तु को उनके अभिभावक ने उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए Athens Center for Intellectual Education भेज दिया। वहां उन्होंने प्लेटो (Plato) से बीस साल तक शिक्षा प्राप्त की। अपनी पढ़ाई के अंतिम वर्षों में, उन्होंने खुद Academy में पढ़ाना शुरू कर दिया।
Arastu उस समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माने जाते हैं, जिनकी प्रशंसा उनके गुरु भी करते थे। अरस्तु एक यूनानी दार्शनिक थे, अरस्तु दुनिया में पैदा हुए सभी महान लोगों और विशेष रूप से अपने समय के दार्शनिकों में गिने जाते हैं। अरस्तु परंपराओं पर भरोसा नहीं करते थे और किसी भी घटना की पूरी तरह जांच करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचते थे।
347 ईसा पूर्व में Plato की मृत्यु के बाद Arastu, Academy के नेतृत्व के प्रभारी अधिकारी बन गए थे। एक दिन Arastu अत्रानियस (Atranius) के मित्र शश्क हरमियाज के निमंत्रण पर उनके दरबार में गए। Arastu वहां तीन साल तक रहे और इस दौरान उन्होंने राजा की भतीजी हर्पलिस नाम की एक महिला से शादी भी कर ली। इससे पहले अरस्तु ने पिथियस नाम की महिला से शादी की थी।
Arastu की शिक्षा | Education of Arastu
Arastu जब 17 वर्ष के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी! पिता की मृत्यु के बाद अरस्तु को उनकी माता ने उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस भेजा। वहां उन्होंने प्लेटो से बीस साल तक शिक्षा प्राप्त की।
अपनी पढ़ाई के अंतिम वर्षों में, उन्होंने खुद अकादमी में पढ़ाना शुरू किया। कुछ समय बाद प्लेटो की मृत्यु हो गयी, जब प्लेटो की मृत्यु हुई तो Arastu की उम्र 37 वर्ष थी। प्लेटो की मृत्यु के बाद, उसका भतीजा स्पूसिपस प्लेटो की अकादमी का प्रमुख बन गया। और उसके बाद Arastu ने अकादमी छोड़ दी।
अरस्तु और दर्शनशास्त्र | Arastu and Philosophy
Arastu खोज करने के बड़े शौक़ीन थे उन्हें खोज करना काफी पसंद था, विशेष रूप से उन विषयों पर जो मानव प्रकृति से संबंधित हैं, जैसे “मनुष्य जब भी समस्याओं का सामना करता है तो उसका सामना कैसे होता है?” और “मनुष्य का दिमाग कैसे काम करता है।”
“ऐसे प्रशासन में क्या होना चाहिए जो समाज को लोगों से जोड़े रखने का काम करता है, जो हमेशा सही तरीके से काम करता है।” ऐसे सवालों का जवाब पाने के लिए अरस्तु व्यावहारिक रूप से अपने आसपास के वातावरण पर बहुत इत्मीनान से काम करते थे।
वह सुबह सुबह अपने शिष्यों को विस्तृत रूप से और शाम को आम लोगों को साधारण भाषा में प्रवचन देते थे। सिकंदर की अचानक मृत्यु होने के कारण मैसेडोनिया का विरोध शुरू हो गया। उन पर नास्तिकता का भी आरोप लगाया गया था। वह सजा से बचने के लिए चाल्सिस चले गए।
सिकंदर के शिक्षक के रूप में अरस्तु का जीवन :
मैसेडोन के Philip II ने Arastu को 343 ईसा पूर्व में अपने बेटे को पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। जिसे कुछ समय बाद सिकंदर महान के रूप में जाना जाने लगा। अरस्तू ने उसे 13 से 16 साल की उम्र तक पढ़ाया, जिसमें सिकंदर को दर्शन, चिकित्सा, नैतिकता और कला में मजबूत नींव मिली। 16 वर्ष की आयु में सिकंदर अपने पिता की अनुपस्थिति में मैसेडोनिया का शासक बना।
अरस्तु की मृत्यु | Death of Arastu
अरस्तू की मृत्यु 322 ईसा पूर्व में चाल्सी में 62 वर्ष की उम्र में हुई। उन्हें अपनी पहली पत्नी की कब्र के पास दफनाया। अपने महान् शिष्य सिकन्दर की मृत्यु के बाद अरस्तू ने भी विष पीकर आत्महत्या कर ली थी।
अरस्तु के द्वारा लिखी गयी किताबें | Aristotle’s books
अरस्तू ने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें से कुछ पुस्तकों के नाम हैं:
- निकोमैचेन एथिक्स, उन्होंने यह पुस्तक 350 ई.पू. में लिखी थी | Nicomachean Ethics
- राजनीति | Politics
- काव्य रचना, 355 ई.पू. | Poetics
- तत्वमीमांसा, बयानबाजी | Metaphysics, Rhetoric
- आत्मा पर | On the soul
- जानवरों के अंग | Parts of animals
- जानवरों का इतिहास | History of animals
- एथेनियाई लोगों का संविधान | Constitution of the Athenians
- पोस्टीरियर एनालिटिक्स | Posterior Analytics
- डी व्याख्या | De interpretation
- Organon
- जनरेशन एंड करप्शन, 300 ई.पू. | On Generation and Corruption
- यूडेमियन नैतिकता | Eudemian Ethics
- अंतरिक्ष-विज्ञान | Meteorology
- पूर्व विश्लेषिकी | Prior Analytics
- कॉर्पस अरिस्टोटेलिकम | Corpus Aristotlelicum
- जनरेशन ऑफ एनिमल्स, 350 ई.पू | Generation of Animals
- संवेदना और संवेदनशीलता | Sense and Sensibility
- नींद में भविष्यवाणी | On sleep on dreams etc.
अरस्तु के अनमोल विचार | Aristotle’s Precious Thoughts
- आलोचना से बचने का एक ही तरीका है : कुछ मत करो, कुछ मत कहो और कुछ मत बनों।
- कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वो डरता है।
- किसी मनुष्य का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति।
- मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो, और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो।
- संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार।
- एक निश्चित बिंदु के बाद, पैसे का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
- प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत है।
- मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक जानवर है।
- मनुष्य के सभी कार्य इन सातों में से किसी एक या अधिक वजहों से होते हैं: मौका, प्रकृति, मजबूरी, आदत, कारण, जुनून, इच्छा।
- मनुष्य प्राकृतिक रूप से ज्ञान कि इच्छा रखता है।
- सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं।
- अगर औरते नहीं होती तो इस दुनिया की सारी दौलत बेमानी होती।
- बुरे व्यक्ति पश्चाताप से भरे होते हैं।
- डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाला दर्द है।
- जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है।
- चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं।
Short Biography of Arastu in Hindi :
नाम | अरस्तु |
जन्म | 384 ईसा पूर्व |
पत्नी का नाम | पिथियस, हर्पलिस |
मृत्यु | 322 ईसा पूर्व (उम्र 62) |
राष्ट्रीयता | यूनानी |
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